The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

A singular feature on the temple is the fact souls from any religion can and do present puja to Sri Maa. Uniquely, the temple administration comprises a board of devotees from numerous religions and cultures.

Shodashi is deeply connected here to the path of Tantra, wherever she guides practitioners towards self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she is celebrated given that the embodiment of Sri Vidya, the sacred understanding that results in enlightenment.

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥

ഓം ശ്രീം ഹ്രീം ക്ലീം ഐം സൗ: ഓം ഹ്രീം ശ്രീം ക എ ഐ ല ഹ്രീം ഹ സ ക ഹ ല ഹ്രീം സ ക ല ഹ്രീം സൗ: ഐം ക്ലീം ഹ്രീം ശ്രീം 

ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥

हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥७॥

The noose symbolizes attachments, Whilst the goad signifies contempt, the sugarcane bow exhibits wants, and also the flowery arrows depict the 5 perception organs.

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।

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